छत्तीसगढ़
“राजधानी रायपुर में अवैध आहतों का साम्राज्य! अधिकारियों की मिलीभगत से बेखौफ शराब कारोबार, कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल”
मंदिर हसौद में विदेशी शराब दुकान के आसपास अवैध आहतों का जाल — शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने से जनता में रोष, सामाजिक ताना-बाना बिगड़ने का खतरा

ज़ोहेब खान…….रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अवैध आहतों का कारोबार लगातार फल-फूल रहा है। आरोप है कि आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध ठिकाने बेखौफ संचालित हो रहे हैं, जिससे न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि समाजिक ताना-बाना भी खतरे में पड़ता जा रहा है।
राजधानी से लगे मंदिर हसौद में स्थित विदेशी कम्पोजिट शराब दुकान के आसपास अवैध आहतों का जाल बिछा हुआ है। इन आहतों में नियमों को ताक पर रखकर ग्राहकों को खुलेआम शराब परोसी जाती है और वहीं बैठकर पीने की सुविधा भी दी जाती है, जो कि पूरी तरह गैर-कानूनी है। शाम ढलते ही इन आहतों पर शराबियों की भीड़ उमड़ने लगती है, जिससे आसपास के माहौल में अशांति फैलती है और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अधिकारियों पर मिलीभगत के गंभीर आरोप
सूत्रों के अनुसार, विदेशी कम्पोजिट शराब दुकान मंदिर हसौद में पहले “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर सुंदर नगर निवासी सनी कुमार को वैध आहता संचालन का अधिकार दिया गया था। लेकिन भूमि स्वामी ने कथित तौर पर प्रकाश राव और कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर इसी भूमि पर अवैध रूप से आहता संचालित करना शुरू कर दिया।
इससे वैध लाइसेंसधारी सनी कुमार को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन की सीधी मिलीभगत से ये अवैध आहतें बेखौफ चल रही हैं। हर महीने अवैध आहत संचालकों से मोटी रकम वसूली की जाती है, जिसके बदले कार्रवाई नहीं होती। शिकायतों के बावजूद अधिकारी सिर्फ औपचारिकताएं पूरी करते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद वही आहतें फिर से शुरू हो जाती हैं।
अवैध आहतों से बढ़ रही आपराधिक गतिविधियां
इन अवैध आहतों की वजह से इलाके में असामाजिक तत्वों की सक्रियता बढ़ गई है।
शराब पीकर झगड़े, मारपीट और छेड़खानी की घटनाएं आम हो गई हैं।
राहगीरों, खासकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
युवाओं में शराबखोरी की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
जनता की शिकायतें अनसुनी, बढ़ा आक्रोश
कई बार स्थानीय निवासियों ने अवैध आहतों के खिलाफ प्रशासन और पुलिस में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। कार्रवाई न होने से जनता का भरोसा प्रशासन से उठता जा रहा है। अब लोग उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
“शिक्षा का मंदिर बिकाऊ! मालवणी मनपा स्कूल की नीलामी पर बवाल, सड़कों पर उतरी कांग्रेस”
जरूरत है सख्त कदमों की
राजधानी रायपुर में इस तरह बेखौफ अवैध आहतों का संचालन कानून-व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि उच्च स्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और अवैध आहतों पर कड़ी रोक लगाना बेहद जरूरी है, ताकि राजधानी को सुरक्षित और स्वच्छ माहौल मिल सके।