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मांस दुकानों पर जुर्माना कर पल्ला झाड़ रहे जिम्मेदार

भोपाल । मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खुले में मांस-मछली के विक्रय पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम भी सक्रिय हो गई है। लेकिन पांच दिन बाद भी खुले में न तो मांस की बिक्री बंद हुई और न ही दुकानों में अपारदर्शी कांच लगाए गए। इधर जिम्मेदार इन दुकानों में जुर्माना कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, लेकिन नियमों का पालन कराने में असफल साबित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री का आदेश है कि पूरे प्रदेश में खुले में मांस-मछली नहीं बिकना चाहिए। इनके आदेश पर नगरीय निकायों की टीमों ने अभियान शुरू किया है। इधर राजधानी भोपाल में भी शुक्रवार से अभियान शुरू किया गया है। लेकिन अभियान के नाम पर नगर निगम की टीमें सिर्फ स्पाट फाईन की कार्रवाई तक सीमित रह गई हैं। अमले को इससे कोई मतलब नहीं कि खुले में मांस बिक रहा है। कर्मचारी भी सिर्फ समझाईश देकर आगे बढ़ जाते हैं। खुले में मांस बेचने वालों पर पहले दिन कार्रवाई हुई, लेकिन तीन दिन बाद भी उन दुकानों पर खुलेआम मांस-मछली बिक रही है। कार्रवाई करने वाली टीम में शामिल कर्मचारियों का भी कहना है कि उन्हें सिर्फ स्पाट फाईन का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि यह अभियान 31 दिसंबर तक चलेगा।

मांस विक्रय दुकानों पर जोन स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी संबंधित जोन के एएचओ की है। उसी के आधीन जोन में स्थित दुकानों पर कार्रवाई जारी है। लेकिन यह कार्रवाई भी आधे शहर में सीमित है। नए शहर के अवधपुरी, नर्मदापुरम रोड, अयोध्या नगर समेत अन्य स्थानों पर नियमित कार्रवाई हो रही है, वहीं पुराने शहर के इतवारा में मछली मार्केट के सामने सहित इस्लामपुरा, काजी कैम्प, ऐशबाग, नवबहार सब्जी मण्डी, टीला जमालपुरा, अशोका गार्डन शेड, जिंसी जहांगीराबाद इलाके में नगर निगम के लिए कार्रवाई करना चुनौती साबित हो रहा है।

शहर में अभियान के नाम पर नगर निगम का अप्रशिक्षित अमला सिर्फ स्पाट फाईन कर रहा है। इन्हें न तो कार्रवाई से पहले प्रशिक्षित किया गया और न ही नियम बताए गए। इसी कारण कर्मचारी दो-पांच सौ रुपये का चालान बनाकर आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन दुकानदार को ये भी नहीं बताते ही मांस बेचने के लिए उन्हें किन नियमों का पालन करना है। इसी कारण निगम कर्मचारियों के जुर्माने के बाद भी खुले में मांस बिकता रहता है।

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