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कथित कोयला घोटाला मामला में ईओडब्लू सौम्या चौरसिया और रानू साहू को गिरफ्तार कर पूछताछ करेगी, रायपुर कोर्ट ने जारी किया प्रोडक्शन वारंट

छत्तीसगढ़ के कथित कोयला घोटाला मामले में ईओडब्लू केंद्रीय जेल में बंद राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया और निलंबित आईएएस रानू साहू को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लेगी। यह कोयला घोटाले में ईओडब्लू की यह कार्यवाही तब सामने आई हैं जबकि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट से शेड्यूल अफेंस नहीं होने के प्रश्न पर एक आरोपी सुनील अग्रवाल को अंतरिम जमानत मिली है।

Crime Chhattisgarh Raipur, 23 मई 2024। कोयला लेव्ही वसूली मामले में ईडी के द्वारा गिरफ्तार राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया और निलंबित आईएएस रानू साहू को ईओडब्लू गिरफ्तार करेगी और पूछताछ के लिए रिमांड पर लेगी। रायपुर स्पेशल कोर्ट ने एसीबी/ईओडब्लू के आवेदन पर सौम्या चौरसिया और रानू साहू के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया है। खबरें हैं कि 11 बजे रायपुर विशेष अदालत में दोनों को पेश किया जाएगा।

अतुल श्रीवास्तव की कोर्ट में होंगे पेश

ईओडब्लू के प्रोडक्शन वारंट की तामील सुनिश्चित हो इसके लिए एडिशनल एसपी चंद्रेश ठाकुर को जवाबदेही मिली है। यह सुनिश्चित होगा कि बल इत्यादि समय पर पहुँच जाए। सौम्या चौरसिया और रानू साहू को न्यायाधीश अतुल श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया जाएगा। एसीबी कोर्ट की विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा तिवारी न्यायालयीन कार्य की वजह से हाईकोर्ट में है, इसलिए इन्हें न्यायाधीश अतुल श्रीवास्तव की अदालत में पेश किया जाएगा।

क्या है कोयला घोटाला

कोयला घोटाला मामले में ईडी के अनुसार कोयले के परिवहन में 25 रुपए टन की अवैध वसूली होती थी। ईडी ने कोर्ट को बताया हैं कि यह गिरोह बनाकर किया जाता था। इस गिरोह का किंगपिन सूर्यकांत तिवारी था। सूर्यकांत तिवारी को असीमित ताक़त तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया से हासिल होती थी। सौम्या चौरसिया के प्रभाव की वजह से राज्य में पुलिस हो या प्रशासन कोई भी सूर्यकांत तिवारी को रोकने की हैसियत नहीं रखता था। ईडी ने इस घोटाले को पाँच सौ करोड़ रुपए का बताया था। इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई समेत कई लोग क़रीब सत्रह महीनों से भी ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं।

ईडी की रिपोर्ट पर ईओडब्लू में एफ़आइआर

कोयला घोटाले के इस मामले में ईओडब्लू में ईडी की ओर से बीते 17 जनवरी 2024 को अपराध दर्ज कराया गया है। अपराध क्रमांक 3/2024 के तहत दर्ज एफ़आइआर में धारा 420,120 बी, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए और 12 प्रभावी है।

एफ़आइआर में उल्लेख है कि, सूर्यकांत तिवारी के साथ सौम्या चौरसिया और रानू साहू कोयला लेव्ही के षड्यंत्र में पूरी तरह शामिल है। ईडी के अधिकारी संदीप आहूजा की ओर से दर्ज कराई गई एफ़आइआर में सौम्या चौरसिया को 35 करोड़ जबकि रानू साहू को 5 करोड़ 52 लाख रुपये मिलने की बात दर्ज है।

ईओडब्लू की एफ़आइआर में 35 नामजद आरोपी

ईओडब्लू की इस एफ़आइआर में सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक, शिवशंकर नाग तथा अन्य के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, पूर्व विधायक शिशुपाल सोरी, कांग्रेस प्रवक्ता आर पी सिंह, विनोद तिवारी, उर्दू बोर्ड के अध्यक्ष इदरिस गांधी, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधायक चंद्रदीप राय, पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह, पूर्व विधायक गुलाब कमरो, पूर्व विधायक यू जी मिंज और कोल वाशरी संचालक सुनील अग्रवाल का नाम शामिल है।

 

ईडी के आवेदन में चिंतामणि का नाम ईओडब्लू की एफ़आइआर से नाम ग़ायब

यही वह चर्चित एफ़आइआर है, जिसके दर्ज होते ही एक आरोपी का नाम एफ़आइआर में दर्ज नहीं है, जबकि ईडी के जिस आवेदन पर एफ़आइआर हुई है उसमें वह नाम शामिल है। यह नाम सरगुजा के सामरी से कांग्रेस विधायक रहे चिंतामणि महाराज का है। ईडी के आवेदन के पृष्ठ क्रमांक 11 पर कॉलम 4 में यह उल्लेख है कि इस कोयला लेव्ही में लाभान्वित होने वाले राज्य के बड़े प्रभावशाली और विभाग के अधिकारी कौन थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन विधायकों और पदाधिकारियों के 12 नाम है। चिंतामणि का नाम इस लिस्ट में दसवाँ नंबर पर है। ईडी की इस लिस्ट में यह बताया गया है कि चिंतामणि महाराज को पाँच लाख रुपये मिले थे। ईओडब्लू की एफ़आइआर में इस लिस्ट के 11 नाम लिखे गए है। लेकिन चिंतामणि महाराज का नाम ग़ायब हैं। जबकि एफ़आइआर हुई थी उसके पहले चिंतामणि महाराज बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस समय बीजेपी से सरगुजा संसदीय सीट पर प्रत्याशी भी हैं।

अचानक सक्रियता के पीछे सुनील की ज़मानत या सामान्य मसला ?

ईओडब्लू की एफ़आइआर 17 जनवरी को दर्ज हुई है। पाँच महीने बाद ईओडब्लू इस मसले पर सक्रिय हुई है। बीते 18 मई को कोयला लेव्ही मामले में ईडी के द्वारा गिरफ्तार सुनील अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस के व्ही विश्वनाथ की बेंच ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए ईडी से सवाल किया था कि “इस केस में शेड्यूल अफेंस कहाँ है, कर्नाटक पुलिस की जिस एफ़आइआर के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की उस एफ़आइआर का अद्यतन स्टेट्स क्या है ?” ईडी ने जवाब के लिए समय माँगा जिस पर सप्रीम कोर्ट ने 6 हफ़्ते का समय दिया और सुनील अग्रवाल को 6 हफ़्ते के लिए अंतरिम ज़मानत दे दी। विधि विशेषज्ञों का अभिमत है कि, शेड्यूल अफेंस की अनुपलब्धतता ईडी के इस केस को शून्य करने की शक्ति रोकती है। 6 हफ़्तों में आने वाला जवाब यदि सर्वोच्च न्यायालय को संतुष्ट नहीं करेगा तो ईडी को करारा झटका लग सकता है। अब ईओडब्लू की कार्यवाही से केंद्रीय जेल में बंद आरोपियों के लिए पृथक क़ानूनी चुनौती सामने आ गई है। सरल शब्दों में यदि ईडी का केस ख़ारिज सभी हो जाए या कि सुप्रीम कोर्ट यह मान ले कि ज़मानत दे दी जाए तो भी जेल से बाहर आना इतना आसान नहीं होगा।

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