देश

भारत दुनिया के श्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में खड़ा हो रहा : दत्तात्रेय होसबाले

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत करवट ले रहा है और दुनिया के श्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में खड़ा हो रहा है। वह राष्ट्र निर्माण में दरभंगा राज के अध्यात्मिक और सांस्कृतिक योगदान पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर ‘राज दरभंगा – धर्म संरक्षण से लेकर लोक कल्याण तक’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

श्री होसबाले ने कहा कि विदेश के इतिहासकारों ने इस मिथ को स्थापित किया कि राजा मौज-मस्ती और विलासिता में डूबा रहता है, लेकिन हमारे देश में राजा को लोक कल्याण के कार्यों के साथ उच्च मानक स्थापित करने वाले के तौर पर देखा गया। उन्होंने कहा कि भारत में राजा को देवता माना गया जो प्रजा के लिए समान भाव के साथ मर्यादा का पालन करते थे। हमारे देश में प्रभु श्रीराम, राजा दशरथ, राजा हरिश्चंद्र, राजा भगीरथ ने लोक कल्याण और मर्यादा के प्रतिमान स्थापित किए।

श्री होसबाले ने मिथिला के स्वर्णिम इतिहास और परंपरा पर चर्चा करते हुए कहा कि सांस्कृतिक, साहित्य, परंपरा और लोक कल्याण के क्षेत्र में लंबी फेहरिस्त है। उन्होंने इस अवसर पर दरंभगा राजघराने के कुमार अरिहंत को 18वें जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि दरभंगा के राजा ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए देश में विभिन्न स्थानों पर सम्मेलन का भी आयोजन किया था और विश्व हिंदू परिषद की स्थापना में भी आगे बढ़कर मदद की थी। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में कई आधुनिक संस्थानों की स्थापना के साथ काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में शुरूआती पांच लाख की राशि दी थी। उन्होंने मदन मोहन मालवीय जी के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के लिए एक करोड़ से अधिक की धनराशि का प्रबंध कराया था।

इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब मैं पहली बार 2014-2015 में दरभंगा पहुंचा तो वहां के स्थापत्य, कला और साहित्य से अभिभूत हो गया। उन्होंने मिथिला की धरती और दरभंगा राजघराने को इतिहास की बेमिसाल धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि मिथिला की धरती राजा जनक और माता सीता के साथ गार्गी और याज्ञवल्क्य संवाद की भी साक्षी रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मिथिला की धरती मधुबनी पेटिंग, ध्रुपद परंपरा को पुष्पित और पल्लवित किया है। उन्होंने भारतीय मूल तत्वों को सामाजिक और आधुनिकता के साथ जोड़ने की अपील करते हुए कहा कि मिथिला सांस्कृतिक परंपरा में ऐसे तत्व विद्यमान हैं जिस पर भारत को गर्व है।

इस अवसर पर गुजरात से आए नौतन स्वामी और दरभंगा राजघराने की तरफ से श्री कपिलेश्वर सिंह और श्रीमति कविता सिंह भी मौजूद थीं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button