छत्तीसगढ़

बाघ ढूंढने अभ्यारण्य को 4 भागों में बांटा

गरियाबंद। साल भर से उदंती सीतानदी अभ्यारण्य में बाघ नहीं दिखा है. अब बाघ ढूंढने अभ्यारण्य को 4 भागों में बांटा गया है. प्रत्येक भाग में एक बार में 250 कैमरे लगाए जाएंगे. इसको लेकर नई तकनीक से लैस कैमरे के जरिए निगरानी और ढूंढने 150 अफसर-कर्मी को अभ्यारण्य के उपनिदेशक ने प्रशिक्षण दिया.

ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन फेस 4 के तहत बाघ और अन्य वन्य प्राणी की गणना के लिए नई तकनीकी से लैस कैमरे से कैसे निगरानी व खोज की जाएगी, इसकी ट्रेनिंग अभ्यारण्य के 150 कर्मी और अफसरों को आज कोयबा इको सेंटर में ट्रेनिंग दी गई. उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के उपनिदेश वरुण जैन ने अपने तकनीकी मास्टर ट्रेनर ओम प्रकाश राव के साथ मिल कर कैमरे लगाए जाने से लेकर उसके ऑपरेटिंग सिस्टम और समय पर डाटा कलेक्शन की विस्तृत जानकारी दिया. पिछली बार 18 ट्रेप कैमरे की चोरी हुई थी. इस बार बचने के लिए इस्तेमाल हुए तकनीकी के बारे में भी बताया कि अब चोरी से कैसे बचाएंगे. सुरक्षा गत कारणों का हवाला देकर हुए इस तकनीकी को अफसर ने सार्वजनिक नहीं किया.

बताया गया कि अभ्यारण को चार भागों में बांटा गया है. गूगल अर्थ में निर्धारित प्रत्येक ग्रिड पर दो कैमरे लगाएंगे. प्रत्येक भाग में 25 दिन के लिए 250 कैमरे लगाए जाएंगे. कैमरे का डाटा रोजाना कलेक्ट किया जाएगा. प्रत्येक भाग में 25 दिन के ट्रेपिंग के बाद 7 दिनों तक साइन सर्वे और लाइन सर्वे भी साथ-साथ किया जाएगा.

उपनिदेशक जैन ने बताया कि यहां मौजूद बाघ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से होकर बस्तर जगदलपुर होते उदंती अभ्यारण्य तक विचरण करता है. फिर ओडिशा के सुनाबेड़ा अभ्यारण्य पहुंचता है. इसी कारीडोर में बाघ का विचरण होता है. अफसर ने बताया कि 2014 के गणना में उदंती सीतानदी अभ्यारण में 2018 और 2022 में एक एक बाघ होने की पुष्टि किया गया था. 2023 में ओझल होने के बाद कारीडोर में आने वाले सभी अभ्यारण में इसकी तलाश की जाती रही है.

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