छत्तीसगढ़मुख्य समाचार

23 सूत्रीय मांगो को लेकर सर्व आदिवासी समाज का प्रदर्शन : झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, असम, बिहार, आंध्र प्रदेश बस्तर सरगुजा से जूटे समाज के लोग…

23 सूत्रीय मांगो को लेकर सर्व आदिवासी समाज का प्रदर्शन : झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, असम, बिहार, आंध्र प्रदेश बस्तर सरगुजा से जूटे समाज के लोग…

 

प्रदेश में 32 प्रतिशत आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, नौकरी में बैकलॉक, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण, फर्जी जाति प्रकरण में कार्यवाही एंव 2.50 लाख के आय सीमा को हटाया जाए।
पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में असंवैधानिक रूप से बनाया गया नगर पंचायत, नगर पालिका निगम को ग्राम पंचायत किया जाए।
बालोद जिला के ग्राम-तुएगोंदी, जामडी पाठ, ग्रामीणों के पांरपरिक आस्था की जगह बाहरी व्यक्त्ति का कब्जा हटाकर ग्रामीणों को वन अधिकार मान्यता पत्र सौंपा जाये।

इस प्रकार विभिन्न मांगों को लेकर सर्वआदिवासी समाज लगातार ज्ञापन, आंदोलन करते आ रहे है, लेकिन शासन के द्वारा कोई भी मांग पूर्ण नही किया गया है। सरकार को सचेत करने और मांग के पूर्ति के लिये सर्वआदिवासी समाज द्वारा विधानसभा घेराव करने मार्च निकाला गया जिसे पुलिस प्रशासन ने बेरिकेटिंग करके रोका गया और वही पर ज्ञापन सौंपा गया।

आप को बता दे हसदेव अरण्य में अनेक पेड़ो की कटाई में, पुर्नस्थापना में कोयला खनन में, अनके अनियमयितता है जिसका विरोध व दोषी अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही हेतु ग्रामीण आदिवासी एंव सर्व आदिवासी समाज द्वारा आंदोलन रैली करते आ रहे है।

छ.ग. विधानसभा के द्वारा अशासकीय संकल्प पारित किया गया, उसके बाद भी रद्द नही किया गया है कोयल खनन सतत् जारी है। बस्तर में फर्जी मुठभेड़, एंव सवैधानिक मांग को लेकर 24 जगह लगातार चल रहे आंदोलन, धरना, प्रदर्शन की कोई सुनवाई नही हो रहा है, सलवा जुडुम में उजाड़े गये 600 गांव को अब तक बसाया नही गया है और न ही कोई योजना प्रस्तावित किया गया है। धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक में सीतानदी अभ्यारण्य में विस्थापन, गंगरेल बाध में विस्थापन के लिये 45 साल बाद भी हाई कोर्ट के आदेश के उपरांत पुर्नस्थापना नही हुआ है। पेशा कानून में संशोधन कर ग्राम सभाओं को पुर्ण अधिकार दिया।

समाज के द्वारा विधानसभा घेराव के लिए मार्च निकाला गया और बेरी गेट पर रोक कर मुख्यमंत्री निवास से प्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन से एसडीएम को मांगो का ज्ञापन सौंपा गया।

मंच से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभी प्रमुख वक्ताओं ने अपने-अपनी बातें प्रमुखता से राखी और साथ ही जल, जंगल और जमीन बचाने की लड़ाई लड़ने की बात कही गई।

सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम* कहा कि विधानसभा का मार्च करना है किंतु सरकार ने अपने प्रतिनिधि सभा स्थल में भेजा है और सरकार द्वारा प्रजातांत्रिक तरीके से अपने बातों को रखने का अधिकार है, मुख्यमंत्री हमारी समाज की समस्याओं को सुनने के लिए समाज के प्रतिनिधियों को बुलाकर चर्चा की जिसमे हमने कहा आप हमारी समस्याओं के प्रति जिम्मेदार हैं तो सरकार द्वारा समाज को आपके प्रति इस तरह सहभागिता मिलती रहेगी आदिवासी समाज की कोई एक समस्या का समाधान की जाए अन्यथा इसको पूरा विचार हेतु आरक्षित रखें और समाज की समस्या को जाने एवं सुलझाने के लिए सरकार को वक्त देना चाहिए। सरकार से उम्मीद करते है की समाज की हित के लिए कोई कार्य दिखना चाहिए, नक्सलियों के नाम पर समाज के लोगों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कार्य करने की आवश्यकता है। पुलिस प्रशासन नक्सलियों का समाधान नहीं चाहते हैं क्योंकि प्रशासन या सरकार को आदिवासी समाज को खत्म करना चाहते हैं, समाज को संगठित रहने की आवश्यकता है, सरकार से मांग करते हुए कहा कि आदिवासियों की समस्याओं को जल्द से जल्द समाधान करें ।

सर्व आदिवासी समझ के कार्यकारिणी प्रदेश अध्यक्ष बी एस रावटे* ने अपने वक्तव्य में कहा की वक्त नहीं है सोने का हक नहीं है खोने का आदिवासी पर अत्याचार लगा होने इसके लिए लड़ने विद्रोही नक्सली अन्य प्रकार से प्रकरण झेलना पड़ रहा है, मंगली बाई 6 माह की जिसे पता ही नहीं वह पैदा क्यों हुआ जिसे पुलिस क्रॉस फायरिंग के नाम पर मौत के घर घाट उतार देना आदिवासी पर अत्याचार का काला सच है आज हमें संविधान की अनुच्छेद में अन्य अधिकारों की जानकारी रखने की सहमत आवश्यकता है जंगलों और पहाड़ों से और जंगल बड़ो देश के गद्दारों को और समाज के बेईमानों को हसदेव आंदोलन के निरीक्षण के लिए तहसीलदार एसडीएम कोई भी आदिवासी की स्थिति का निरीक्षण करने नहीं गया। चिंताअनार, गोपाल पाली का हालत जानने के लिए नही गया, आदिवासी की स्थिति बहुत ही खराब है जिसकी जानकारी सरकार को देते हुए अब हमें पूरे प्रदेश का आगमन रोक सकते हैं किंतु सरकार नहीं अतः समाज को समय देने की सरकार को अर्श करता है लड़ेंगे जीतेंगे ना मारेंगे ना मिटेंगे लड़ेंगे और जीतेंगे इसके बाद एक नया इतिहास लिखेंगे अगर समाज को संघर्ष की आवश्यकता हुई तो समाज तोर इस बस्तर से सरगुजा तक कंधे से कंधे मिलाकर हक की लड़ाई लड़ने के तैयार है।

इस धरना प्रदर्शन आंदोलन में झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम, बिहार, आंध्र प्रदेश और बस्तर संघर्ष समिति, हसदेव बचाओ संघर्ष समिति आदि उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button