IIT-BHU गैंगरेप मामलाः कुछ ज़रूरी सवाल जिनके जवाब पुलिस और बीजेपी को देने चाहिए

आईआईटी-बीएचयू की बीटेक छात्रा के साथ गन प्वाइंट पर गैंगरेप करने वाले तीनों अभियुक्त भले ही गिरफ्तार कर लिए गए हैं, लेकिन पुलिस-प्रशासन और खबरिया चैनलों की चुप्पी बनारस के लोगों को विचलित कर रही है। इस मामले में कई अहम सवाल अभी उलझे हुए हैं और पुलिस उन्हें हल करने की तनिक भी कोशिश करती नहीं दिख रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि मामूली वारदातों में आरोपियों का एनकाउंटर करने और उनके घरों पर बुलडोजर चलाने के लिए कुख्यात यूपी पुलिस ने कोर्ट से तीनों अभियुक्तों का रिमांड तक क्यों नहीं मांगा? यह स्थिति तब है जब पीड़िता का मोबाइल और वो असलहा अभी तक बरामद नहीं हो सका है जिसे दिखाकर अभियुक्तों ने गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था।
बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने IIT-BHU में बीटेक द्वितीय वर्ष की छात्रा से गैंगरेप करने के इल्जाम में सुंदरपुर स्थित बृज एन्क्लेव कॉलोनी का कुणाल पांडेय, बजरडीहा के जिवधीपुर का आनंद उर्फ अभिषेक चौहान और इसी मुहल्ले के सक्षम पटेल को गिरफ्तार किया है। तीनों अभियुक्त बीजेपी आईटी सेल के पदाधिकारी रहे हैं। कुणाल पांडेय बीजेपी की महानगर इकाई में आईटी विभाग का संयोजक और सक्षम पटेल सह-संयोजक था। आनंद दोनों का हमराही था। फिलहाल तीनों जेल में हैं। मामला सत्तारूढ़ दल से जुड़े होने की वजह से पुलिस के आला अफसर इस मामले में खुलकर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन कई तल्ख सवाल पुलिस को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
ज़रूरी सवाल
* बनारस में यह सवाल हर आदमी पूछ रहा है कि पुलिस ने साठ दिन बाद इस घटना का पर्दाफाश क्यों किया?
* किसके निर्देश पर तीनों अभियुक्तों को चुनाव प्रचार करने के लिए मध्य प्रदेश भेजा गया?
* पीड़िता जब लंका थाना में गई तब तत्काल उसका मेडिकल मुआयना क्यों नहीं कराया गया? एक हफ्ते बाद पुलिस को मेडिकल कराने की चिंता क्यों हुई?
* घटना के बाद तीसरे दिन ही पुलिस ने सक्षम पटेल और उसके तीनों साथियों को हिरासत में ले लिया था। उन्हें छुड़ाने के लिए बीजेपी के कौन नेता और विधायक एसीपी प्रवीण सिंह के दफ्तर पहुंचे थे? उस समय जिन नेताओं ने आरोपियों को छुड़वाने के लिए फोन किए, पुलिस ने उनकी सीडीआर रिपोर्ट और गूगल मैप लोकेशन अभी तक क्यों नहीं निकलवाई?
* अभियुक्तों को छोड़ने से पहले पुलिस ने उनकी छात्रा से शिनाख्त क्यों नहीं कराई?
कौन देगा इन सवालों का जवाब?
* बनारस की कमिश्नरेट पुलिस ने अपने रोजनामचे में 30 दिसंबर 2023 को अभियुक्तों की गिरफ्तारी दिखाई है। पुलिस ने अभी तक अभियुक्तों का रिमांड क्यों नहीं मांगा, जबकि पुलिस अभी तक पीड़िता का मोबाइल फोन बरामद नहीं कर पाई है?
* जिस हथियार से भय दिखाकर छात्रा के कपड़े उतरवाए गए और रेप किया गया वह असलहा कहां है?
* बीजेपी से जुड़े तीनों अभियुक्तों का मोबाइल पुलिस कस्टडी में है तो उनके सोशल मीडिया अकाउंट का संचालन कौन कर रहा है?
* अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद कुणाल पांडेय और सक्षम पटेल का एक्स हैंडल अकाउंट किसने और क्यों डिलीट किया?
* अभियुक्तों के फेसबुक अकाउंट से नियुक्ति-पत्र क्यों डिलीट किया गया, जिसे गिरफ्तारी के पांच दिन पहले अपलोड किया गया था? अभियुक्तों के जेल में बंद होने के बाद भी उनका सोशल मीडिया रिकार्ड कौन खंगाल रहा है?
* किसके निर्देश पर अभियुक्तों के घरों पर लगी उनके नाम और पद की पट्टिकाएं हटवाई गईं?
बनारस की कमिश्नरेट पुलिस के माथे पर कई और गंभीर आरोप हैं, जिसका जवाब इस शहर की जनता और बीएचयू के स्टूडेंट्स चाहते हैं।
01 नवंबर 2023 को गैंगरेप की वारदात के बाद मीडिया ने कई घटनाओं को जोड़ते हुए बताया था कि घटना स्थल के आसपास पहले भी कई संगीन वारदातें हो चुकी हैं। अगर कमिश्नरेट पुलिस अभियुक्तों को रिमांड पर लेती तो वो सभी वारदातें खुल सकती थीं, जिनका राज अभी दफन है।
लंका थाना पुलिस इस मामले में तनिक भी दिलचस्पी लेती नहीं दिख रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, छात्रा के साथ गैंगरेप करने वाले तीनों आरोपित हर शाम बीएचयू कैंपस में लड़कियां खोजा करते थे। आनंद उर्फ अभिषेक पर 29 जून 2022 को भेलूपुर थाने में छेड़खानी, मारपीट और बलवा का केस दर्ज हुआ था। इस मामले में आनंद के परिवार के सात सदस्यों को पुलिस ने नामजद किया था। शराब पीकर उपद्रव करना और धककाना उसकी आदतों में शुमार था। पुलिस अफसरों की आखिर वो कौन सी कमजोर नस दबी हुई है जो अभियुक्तों को रिमांड पर लेने से बच रही है?
अन्य मीडिया रिपोर्ट
दैनिक हिन्दुस्तान की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, “गैंगरेप में पकड़े गए तीनों आरोपित हर रात शराब पीने के बाद बुलेट मोटरसाइकिल से शिकार की तलाश में निकलते थे। बीजेपी के पदाधिकारी होने के कारण तीनों को पुलिस अथवा किसी और का डर नहीं था। गैंगरेप की वारदात के ठीक एक दिन पहले तीनों ने बीएचयू कैंपस में ही एक छात्रा को अकेले पाकर उनके साथ गंदी हरकतें की थी। छात्रा ने इसकी शिकायत प्राक्टोरियल बोर्ड से की थी, लेकिन मामला दबा दिया गया और पुलिस तक नहीं पहुंचा था। यही नहीं, तीनों ने जिस रात गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया उससे पहले वो नगर निगम के पास स्थित शहीद उद्यान भी पहुंचे थे। इस उद्यान में अक्सर शाम को प्रेमी-प्रेमिका अकेले मिलने के लिए बैठा करते हैं। इस पार्क में भी अभियुक्त लड़कियों को शिकार बनाया करते थे।”