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पद की गरिमा या दिखावे का प्रदर्शन? धरसींवा के तहसीलदार और नायब तहसीलदार निजी गाड़ियों में पदनाम लगाकर रौब झाड़ते घूम रहे हैं

ज़ोहेब खान…….रायपुर/धरसींवा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे धरसींवा क्षेत्र में दो प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे और नायब तहसीलदार सचिन सिंह राजपूत अपनी निजी गाड़ियों में ‘तहसीलदार’ और ‘नायब तहसीलदार’ के नेम प्लेट (पदनाम पट्टीका) लगाकर क्षेत्र में रौब झाड़ते नजर आ रहे हैं, जबकि न तो इन गाड़ियों को शासन से कोई अधिकृत स्वीकृति मिली है, और न ही इन अधिकारियों ने पदनाम लगाने की कोई विधिवत अनुमति ली है।

जानकारी के अनुसार, ये गाड़ियाँ निजी स्वामित्व की प्रतीत होती हैं या फिर स्पष्ट नहीं है कि किसके नाम पर हैं। लेकिन इन पर पदनाम लगाकर उपयोग करना न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि प्रशासनिक मर्यादा के विरुद्ध भी है। इस संदर्भ में जिला कलेक्टर द्वारा स्पष्ट रूप से लिखित जानकारी दी गई है कि न तो पदनाम लगाने के लिए कोई अनुमति दी गई है और न ही कोई आवेदन प्राप्त हुआ है।

इन अधिकारियों का इस प्रकार व्यक्तिगत वाहनों में पदनाम लगाकर घूमना न केवल पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है बल्कि अन्य अधिकारियों और आम नागरिकों के बीच एक गलत उदाहरण भी स्थापित करता है। यह स्थिति चिंता जनक है कि एक कार्यपालिक दंडाधिकारी और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट स्वयं नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

क्षेत्रीय स्तर पर यह भी चर्चा है कि इन गाड़ियों का उपयोग केवल अधिकारीगण ही नहीं, बल्कि उनके परिजन भी कर सकते हैं, जिससे यह संदेह और गहरा हो जाता है कि पद का उपयोग केवल शासकीय कार्यों के लिए नहीं बल्कि निजी लाभ और दिखावे के लिए भी हो रहा है।

अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करता है या महज पदनाम पट्टीका उतरवाकर मामले को शांत कर दिया जाता है। यदि उच्च अधिकारी ही इस प्रकार के आचरण में लिप्त दिखेंगे तो नीचे के अमले से अनुशासन और पारदर्शिता की अपेक्षा करना व्यर्थ होगा।

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