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“महाराष्ट्र में वोटरों की बाढ़! 10 महीनों में 14 लाख नए नाम – मनपा चुनावों से पहले सियासी भूचाल”

क्राइम छत्तीसगढ़ न्यूज़……..मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा धमाका! आगामी मनपा चुनावों से पहले राज्य की मतदाता सूची में 10 महीनों में 14 लाख नए वोटरों के जुड़ने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगाते हुए निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नई मतदाता सूची में शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वोटर बढ़े हैं। वहीं, जिन मतदाताओं के नामों पर आपत्ति दर्ज की गई थी, उनमें से कई नाम हटा दिए गए हैं। इस असामान्य वृद्धि ने राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को चौंका दिया है।

 

विवाद की वजह क्या है?

मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने 1 जुलाई 2025 तक की मतदाता सूची को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए मंजूरी दे दी है। यही सूची वार्डवार मतदाता सूचियों की तैयारी का आधार बनेगी।

हालांकि नियम के मुताबिक, स्थानीय चुनावों में विधानसभा चुनाव की सूची का ही उपयोग होना चाहिए, लेकिन इस बार 1 जुलाई तक की अपडेटेड सूची को आधार बनाया गया है। चुनाव आयुक्त वाघमारे का कहना है कि नए पंजीकृत मतदाताओं को अवसर देने के लिए यह कदम उठाया गया है।

 

वोट चोरी का आरोप और सियासी घमासान

विपक्षी दलों का आरोप है कि वोटरों की यह “अचानक बाढ़” भ्रष्ट तरीकों से सत्ता पर कब्जा जमाने की साजिश है।

नई मतदाता सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है,

लेकिन अब तक इस पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई।

डेटा अपलोड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुल मतदाताओं की आधिकारिक संख्या सामने आएगी।

 

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क्या है आगे की राह?

राज्य की राजनीति में यह मुद्दा गरमा चुका है। एक तरफ सत्ता पक्ष का दावा है कि “यह पारदर्शी प्रक्रिया” है, तो वहीं विपक्ष इसे “लोकतंत्र पर हमला” बता रहा है। मनपा चुनावों से पहले यह विवाद आने वाले दिनों में और भी तूल पकड़ सकता है।

 

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