मजदूर-किसानों का मोदी सरकार के बजट पर जोरदार विरोध
जनविरोधी बजट के खिलाफ देशभर में उग्र प्रदर्शन, रायपुर में पुतला दहन

ज़ोहेब खान…….रायपुर। मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट को मजदूरों और किसानों ने देशभर में आक्रोश के साथ खारिज कर दिया। बजट को गरीब विरोधी और कॉरपोरेट परस्त बताते हुए रायपुर के अंबेडकर चौक पर विभिन्न संगठनों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया और बजट की प्रतियों का पुतला जलाया।
प्रदर्शन का नेतृत्व सेंट्रल जोन इंश्योरेंस एम्प्लॉइज एसोसिएशन, सीटू, संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल, आरडीआईईयू, सीजीएसपीईयू सहित विभिन्न संगठनों ने किया। आंदोलनकारी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह बजट महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता को और गहरा करने वाला है।
गरीबों पर बोझ, अमीरों को राहत— जनकल्याण की उपेक्षा
वक्ताओं ने बजट को लेकर गंभीर सवाल उठाए:
मध्यम वर्ग को मामूली आयकर राहत, लेकिन मजदूरों-किसानों के लिए कुछ नहीं।
आवश्यक वस्तुओं पर GST कम करने की बजाय आम जनता पर बोझ बढ़ाया गया।
प्रधानमंत्री आवास योजना और ग्रामीण पेयजल मिशन में आधे से भी कम राशि खर्च हुई।
मनरेगा, अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति, महिला एवं बाल विकास मद में कटौती।
कॉरपोरेट टैक्स बढ़ाने की बजाय आम जनता से वसूली तेज।
बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई को बताया देशविरोधी कदम।
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बजट में दिखी सरकार की कॉरपोरेट परस्ती!
नेताओं ने कहा कि सरकार ने पिछले साल पूंजीगत निवेश बढ़ाने के दावे किए थे, लेकिन 1.84 लाख करोड़ रुपये कम खर्च हुए। यह साफ दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि कॉरपोरेट मुनाफाखोरी है।
सरकार के क्रोनी पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने की नीति के खिलाफ मजदूर-किसानों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की चेतावनी दी।