क्राइम छत्तीसगढ़……..रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नगर निगम में एक ऐसा भ्रष्टाचार का मॉडल चल रहा है, जिसकी चर्चाएं पूरे निगम परिसर में आम हो चुकी हैं। यहां वित्त विभाग में पदस्थ प्रभारी लेखापाल श्याम सोनी ने बीते 10 वर्षों से न सिर्फ अपना ट्रांसफर रुकवाया है, बल्कि तीन प्रमोशन के बावजूद एक ही मलाईदार कुर्सी पर टिके हुए हैं। इतना ही नहीं, अपने साले को भी खुद की जगह बैठाकर, उसे 5 गुना अधिक वेतन दिलवा दिया है।

तीन महापौर और कई आयुक्त बदले, पर नहीं बदला यह बाबू!
जहां नगर निगम में पिछले 10 वर्षों में तीन महापौर और कई आयुक्तों का तबादला हो गया, वहीं श्याम सोनी की कुर्सी एक बार भी नहीं हिली। वर्ष 2014 में सहायक वर्ग-2 के रूप में नियुक्त हुए श्याम सोनी को 2019 में प्रमोशन मिला और फिर 2024 में अधीक्षक (लिपिकीय) बने। लेकिन नियमों को ताक में रखकर हर बार उन्होंने खुद को वित्त विभाग में प्रभारी लेखापाल के रूप में ही बनाए रखा।

न तो लेखा प्रशिक्षण, न नियम पालन – फिर भी कुर्सी पर जमे!
राज्य शासन के नियमों के मुताबिक लेखापाल के लिए सरकारी लेखा प्रशिक्षण अनिवार्य होता है, लेकिन श्याम सोनी ने यह प्रशिक्षण भी कभी नहीं किया। इसके बावजूद नियमित प्रशिक्षित लेखापालों को दरकिनार कर निगम ने इन्हें लगातार 10 वर्षों तक प्रभारी लेखापाल बनाए रखा।
अपनी जगह साले को बिठाया – खुद हटे, वेतन पांच गुना बढ़ाया
वर्ष 2024 में जब आयुक्त कार्यालय में अधीक्षक पद पर इनकी नई पदस्थापना हुई, तब इन्होंने खुद वहां कार्यभार ग्रहण नहीं किया, बल्कि अपने साले धीरज सोनी को वहां नियुक्त करवा दिया। धीरज पहले महज 10,000 रुपए मासिक वेतन पर प्लेसमेंट कर्मचारी था, लेकिन आज श्याम सोनी की कृपा से 55,000 रुपए मासिक वेतन ले रहा है। निगम के बाकी कर्मचारी इस ‘भ्रष्टाचार-संबंधी भाईचारे’ को देख हैरान-परेशान हैं।
भाठागांव में आलीशान बंगला, आय से अधिक संपत्ति की मांग उठी
नाराज कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि श्याम सोनी ने भाठागांव जैसे महंगे इलाके में 2000 वर्गफुट में आलीशान बंगला बना लिया है, जो उसकी आय से कहीं अधिक है। कर्मचारियों ने इस मामले की ईओडब्ल्यू और निगम आयुक्त से शिकायत कर जांच की मांग की है।
50 करोड़ के ठेकों में 2% कमीशन की चर्चा, इसी से मिल रहा संरक्षण!
नगर निगम रायपुर के वित्त विभाग में हर माह 50 से 100 करोड़ रुपए के ठेकेदार भुगतान होते हैं। अंदरखाने की चर्चा है कि इन भुगतानों पर श्याम सोनी का 1-2 प्रतिशत का ‘फिक्स कमीशन’ है, जिसके कारण उच्च अधिकारियों का संरक्षण इन्हें निरंतर मिलता आ रहा है।
बाबू बोले- “कोई जवाब नहीं दूंगा”
जब हमारी टीम ने इस पूरे मामले पर श्याम सोनी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
एक ही विभाग में 10 साल से जमा बाबू, अपने साले को अफसर बनाने का खेल, मलाईदार पदों पर अनवरत कब्जा, और आय से अधिक संपत्ति – यह पूरा मामला नगर निगम रायपुर में एक सुनियोजित भ्रष्टाचार सिंडिकेट की ओर इशारा करता है, जिसकी निष्पक्ष जांच अब अनिवार्य हो गई है।
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