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सुप्रीम कोर्ट वायु प्रदूषण मामले की अगली पांच दिसंबर को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली ।  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक दिन पहले के मुकाबले हवा कुछ और खराब हो गई है। गुरुग्राम को छोडक़र दिल्ली समेत एनसीआर के सभी प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है। देश के कई राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। वह लगातार इस मामले में सुनवाई करके राज्यों को फटकार लगा रहा है। अब मंगलवार को एक फिर शीर्ष अदालत ने पंजाब, दिल्ली और यूपी को फटकार लगाई। कहा कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट वायु प्रदूषण मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को करेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यहां अदालत में किसानों की सुनवाई नहीं हो रही है। पराली जलाने के लिए उनके पास कुछ कारण तो होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पंजाब सरकार की रिपोर्ट बताती है कि किसानों और किसान नेताओं के साथ 8481 बैठकें की गई हैं। इन बैठकों का उद्देश्य यह था कि ताकि उन्हें एसएचओ द्वारा धान की पराली न जलाने के लिए समझाया जा सके।
पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं
अदालत ने आदेश में कहा कि खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। पराली जलाने के लिए भूमि मालिकों के खिलाफ 984 एफआईआर दर्ज की गई हैं। दो करोड़ रुपये से अधिक का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये वसूल किए गए हैं।
सरकारें प्रदूषण रोकने के लिए एक्शन लें
जस्टिस एसके कॉल और एस धूलिया की बेंच ने पंजाब और दिल्ली की सरकारों से कहा कि पराली जलाए जाने के खिलाफ सख्त एक्शन लें, जिससे दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा होता है। कोर्ट ने पंजाब के किसानों के लिए कहा कि पराली जलाने के लिए किसानों को विलेन बना दिया जाता है। कोई उनका पक्ष नहीं सुनता है। किसानों के पास पराली जलाने के लिए कारण जरूर होंगे। ये पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को उठाया है कि प्रदूषण फैलने के मामले सभी तरफ से किसानों को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन सुनवाई में उनकी पक्ष नहीं रखा जाता। कोर्ट ने ये भी कहा कि पंजाब सरकार को किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सहायता राशि देनी चाहिए। पंजाब सरकार को हरियाणा सरकार से सीखना चाहिए।

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