छत्तीसगढ़

एसोसिएशन नाराज़, कोर्ट जाने की चेतावनी.

सीनियर रेंजर की मौजूदगी में जूनियर को सौंपा गया प्रभार – छ.ग.फॉरेस्ट रेंजर्स

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वन विभाग द्वारा हाल ही में लिए गए कुछ प्रशासनिक निर्णयों ने राज्यभर के फॉरेस्ट रेंजर्स के बीच तीव्र असंतोष पैदा कर दिया है। मामला उन आदेशों से जुड़ा है, जिनमें सीनियर रेंजर की नियुक्ति और उपस्थिति के बावजूद जूनियर डिप्टी रेंजर को रेंजर पद का प्रभार सौंपा गया है। इस निर्णय को न केवल प्रशासनिक अनुशासन के विपरीत बताया जा रहा है, बल्कि इसे सेवा नियमों और न्यायालयीन निर्देशों की खुली अवहेलना भी कहा जा रहा है। छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन ने इस मुद्दे को लेकर कड़ा विरोध जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त नहीं किए गए, तो वे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के लिए बाध्य होंगे।

एसोसिएशन की प्रमुख आपत्तियाँ – छत्तीसगढ़ राज्य वन सेवा नियम और विभागीय परिपत्र स्पष्ट रूप से निर्देशित करते हैं कि प्रभारी अधिकारी का चयन योग्यता, वरिष्ठता और पदानुसार किया जाए।

डिप्टी रेंजर, जो कि राजपत्रित श्रेणी में नहीं आते, उन्हें सीनियर रेंजर की उपस्थिति में प्रभार देना नियमों की सीधी अवहेलना है।

पद की गरिमा पर आघात- रेंजर का पद एक राजपत्रित अधिकारी का होता है, जबकि डिप्टी रेंजर न तो इस श्रेणी में आते हैं, न ही वैधानिक रूप से उनके पास रेंजर स्तर की जिम्मेदारियां निभाने का वैधानिक अधिकार होता है।

प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न- जब वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हैं, तो जूनियर को कार्यभार देना प्रशासनिक भ्रम उत्पन्न करता है। कार्यों की जवाबदेही अस्पष्ट हो जाती है, जिससे निर्णयों की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।

न्यायिक आदेशों की अवमानना – एसोसिएशन का दावा है कि पूर्व में भी हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि कार्यभार केवल वरिष्ठ अधिकारी को ही सौंपा जाए। जबकि कई वन परिक्षेत्रों में डिप्टी रेंजर को प्रभारी रेंजर बनाए जाने वाला आदेश उन न्यायिक निर्देशों का सीधा उल्लंघन है।

एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि यह निर्णय विभागीय व्यवस्था में धनबल, सिफारिश और पक्षपात के कारण लिया गया है, न कि किसी डिप्टी रेंजर की असाधारण योग्यता या विशेष योगदान के आधार पर।

इसे वरिष्ठ अधिकारियों की धनलोलुपता और स्वार्थपूर्ण मानसिकता का परिणाम बताया गया है।

एसोसिएशन के अनुसार, निम्नलिखित क्षेत्रों में सीनियर रेंजर की उपस्थिति के बावजूद डिप्टी रेंजर को प्रभार सौंपा गया – रायपुर वन वृत्त, दुर्ग वन वृत्त, बिलासपुर वन वृत्त, सरगुजा वन वृत्त, जगदलपुर वन वृत्त, कांकेर वन वृत्त के कुछ वनमण्डलों के वन परिक्षेत्रों के साथ ही अभ्यारण क्षेत्र, टाइगर रिजर्व क्षेत्र के कुछ वन परिक्षेत्रों में पदस्थ हैं।

जबकि रेंजर को छोड़कर डिप्टी रेंजर को चार्ज देने का आदेश छ.ग.शासन का नहीं हैं बल्कि वन वृत्त और वनमण्डलों में पदस्थ IFS अधिकारियों द्वारा किया गया हैं। जो कि नियम विरुद्ध हैं।

छ.ग. फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन ने इस संबंध में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को औपचारिक पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से माँग की है कि सभी विवादित आदेश तत्काल निरस्त किए जाएं।

केवल वरिष्ठ, पदस्थ एवं योग्य अधिकारियों को ही प्रभारी बनाया जाए।

कानूनी कार्रवाई की चेतावनी – छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस विषय में संतोषजनक सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई, तो वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

“यह केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि एक गम्भीर नैतिक और न्यायिक मुद्दा है, जो वन सेवा की गरिमा और संरचना को प्रभावित कर रहा है।”

छ.ग. फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन – वन विभाग के इस निर्णय ने सेवा नियमों, प्रशासनिक अनुशासन और न्यायिक आदेशों पर कई गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि विभाग इस आपत्ति को किस प्रकार लेता है – सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं या यह मामला न्यायालय की चौखट तक पहुंचता है।

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