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गरीब महिलाओं को निगल रहा है माइक्रो फाइनेंस का खौफनाक जाल!

कर्ज के नाम पर अमानवीय शोषण, घर छोड़ने को मजबूर महिलाएं

क्राइम छत्तीसगढ़……..रायपुर। देश के गांवों और छोटे शहरों में माइक्रो फाइनेंस संस्थान (एमएफआई) गरीब महिलाओं के लिए मौत का फंदा बन चुके हैं। ऊंची ब्याज दरों पर दिए जा रहे ऋण और किस्त वसूलने की बर्बरता ने इन महिलाओं का जीवन नरक बना दिया है। एक भयावह सच्चाई सामने आई है कि किस तरह ये संस्थान महिलाओं का न केवल आर्थिक शोषण कर रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्महत्या और देह व्यापार की ओर भी धकेल रहे हैं।

एआईडीडब्ल्यूए की चौंकाने वाली रिपोर्ट:

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एआईडीडब्ल्यूए) द्वारा 21 राज्यों के 100 जिलों में किए गए सर्वेक्षण में 9,000 गरीब और वंचित महिलाओं के दर्दनाक अनुभव उजागर हुए हैं। खेतिहर मजदूर, घरेलू कामगार, प्रवासी महिलाएं, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यक महिलाएं इस शोषण का सबसे बड़ा शिकार हैं।

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माइक्रो फाइनेंस की क्रूर हकीकतें:

आत्महत्याएं और अपमान: बिहार में दंपति ने बेटी की शादी के कर्ज से परेशान होकर ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। तेलंगाना में दर्जी महिला ने एमएफआई एजेंट की प्रताड़ना से तंग आकर फांसी लगा ली।

बेटियों पर खतरा: उत्तर प्रदेश में रात 12 बजे एजेंट ने कहा, “पैसे नहीं हैं तो अपनी बेटी दे दो।” कर्नाटक में एक महिला को धमकाया गया कि उसकी बेटी को बंधक बना लिया जाएगा।

उधार के नाम पर लूट: 50,000 रुपये के ऋण पर महिलाओं को 80,000 रुपये तक लौटाने पड़ते हैं। एजेंट कई बार बीमा के नाम पर या अनावश्यक चीजें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं।

घर का सामान भी नहीं सुरक्षित: किस्त न चुकाने पर टीवी, बर्तन जैसी चीजें उठा ली जाती हैं।

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माइक्रो फाइनेंस: गरीबों की मजबूरी, अमीरों की तिजोरी

1990 के दशक में उदारीकरण के बाद एमएफआई का विस्तार तेजी से हुआ। गरीबों के लिए बैंकों से ऋण लेना असंभव कर दिया गया और एमएफआई ने इस खाली जगह को भर दिया। निवेशकों ने इन संस्थानों में पैसा लगाया और गरीब महिलाओं की मजबूरी को अपने मुनाफे का साधन बना लिया।

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वसूली के अमानवीय तरीके:

एजेंट महिलाओं का पीछा करते हैं, उनके घरों के बाहर बैठ जाते हैं और गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कई मामलों में एजेंट महिलाओं की तलाशी लेते हैं और यहां तक कि उनके बच्चों को भी धमकाते हैं।

महिलाओं की पीड़ा और उनकी मांगें:

महिलाओं का कहना है कि उन्हें कोई और विकल्प नहीं मिलता। सरकारी बैंक ऋण देने से इनकार कर देते हैं। सरकार की नीतियां अमीरों को और अमीर बनाने में लगी हैं, जबकि गरीब महिलाओं को शोषण की चक्की में पिसने के लिए छोड़ दिया गया है।

दिल्ली में होगा राष्ट्रीय जन सुनवाई:

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति आने वाले महीनों में दिल्ली में एक राष्ट्रीय जन सुनवाई का आयोजन करेगी। इस दौरान एमएफआई के अमानवीय शोषण का पर्दाफाश किया जाएगा और महिलाओं के लिए न्याय और सम्मान की मांग उठाई जाएगी।

क्या सरकार इस जुल्म को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी? क्या गरीब महिलाओं की चीखें सत्ता के गलियारों तक पहुंच पाएंगी?

(लेखिका: मरियम ढवले, अनुवादक: संजय पराते)

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