उत्सव बसंत का प्रकृति का उत्सव

पूरे साल को जिन छह मौसमों में बांटा गया है, उनमें वसंत का अपना अलग महत्व है। उत्सव बसंत का प्रकृति का उत्सव है। इस त्योहार को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब उस संसार में देखते थे तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी की वाणी न हो। यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिए उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि देने वाली है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन को जिले के सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रकृति उत्सव के रूप में मनाया गया।