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क्यूआर कोड से ठगी का जाल: सावधानी बरतें, अपनी मेहनत की कमाई बचाएं!

ज़ोहेब खान…… रायपुर। डिजिटल युग में क्यूआर कोड ने भुगतान के तरीके को आसान बना दिया है, लेकिन यह सुविधा अब ठगों के लिए कमाई का जरिया बन गई है। हाल के दिनों में क्यूआर कोड के जरिए ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। फर्जी क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर ठग मासूम लोगों को निशाना बना रहे हैं। आइए समझते हैं कि यह ठगी कैसे होती है और इससे बचने के लिए क्या करें।

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कैसे होती है क्यूआर कोड से ठगी?

1. फर्जी क्यूआर कोड का जाल:

ठग सार्वजनिक स्थानों जैसे दुकानों, पेट्रोल पंपों, या रेस्टोरेंट में असली क्यूआर कोड के ऊपर फर्जी क्यूआर कोड चिपका देते हैं। ग्राहक जब इसे स्कैन करता है, तो भुगतान असली विक्रेता के बजाय ठग के खाते में चला जाता है।

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2. रिफंड का बहाना:

ठग कॉल कर रिफंड देने का झांसा देते हैं और इसके लिए क्यूआर कोड भेजते हैं। स्कैन करने और ओटीपी दर्ज करने पर आपके खाते से पैसा गायब हो जाता है।

3. फिशिंग वेबसाइट का खतरा:

फर्जी क्यूआर कोड स्कैन करने से ग्राहक फिशिंग वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं, जहां उनकी संवेदनशील जानकारी चोरी हो जाती है।

4. लालच का जाल:

ठग इनाम, कैशबैक, या ऑफर का झांसा देकर क्यूआर कोड स्कैन कराते हैं। स्कैन करने के बाद ग्राहक का पैसा सीधे ठग के खाते में चला जाता है।

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5. सोशल मीडिया और ईमेल ठगी:

ईमेल, एसएमएस, और सोशल मीडिया पर भेजे गए फर्जी क्यूआर कोड को स्कैन करने से आपकी व्यक्तिगत जानकारी या पैसा चोरी हो सकता है।

 

ठगी से बचने के उपाय

1. किसी भी क्यूआर कोड को स्कैन करने से पहले सतर्क रहें।
सुनिश्चित करें कि क्यूआर कोड भरोसेमंद स्रोत से हो।

2. भुगतान की पुष्टि करें:
दुकानों पर क्यूआर कोड की वैधता जांचें और विक्रेता से बैंक खाता नाम की पुष्टि करें।

3. रिफंड के झांसे में न आएं:
याद रखें कि रिफंड के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने की जरूरत नहीं होती।

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4. वेबसाइट की वैधता जांचें:
क्यूआर कोड स्कैन करने पर खुलने वाली वेबसाइट की प्रामाणिकता की जांच करें।

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5. अपनी जानकारी गोपनीय रखें:
बैंक डिटेल्स, ओटीपी, या पिन किसी के साथ साझा न करें।

6. अज्ञात क्यूआर कोड से बचें:
ईमेल, मैसेज, और सोशल मीडिया पर भेजे गए फर्जी क्यूआर कोड से दूरी बनाए रखें।

 

अगर ठगी हो जाए तो क्या करें?

1. तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और ट्रांजेक्शन को ब्लॉक करें।

2. साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।

3. स्थानीय पुलिस स्टेशन और साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज कराएं।

सावधान रहें, सतर्क रहें और ठगों से बचकर डिजिटल भुगतान का सुरक्षित उपयोग करें।

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