आबकारी विभाग की भर्ती में ‘BIS कंपनी’ का खेल: घूसखोरी, गड़बड़ी और नौकरी के नाम पर वसूली का बड़ा खुलासा

ज़ोहेब खान……..रायपुर। आबकारी विभाग में भर्ती का जिम्मा मुंबई की BIS कंपनी को सौंपा गया है, लेकिन इसके साथ जुड़ी गंभीर गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के मामलों ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, BIS के अधिकारी भर्ती प्रक्रिया को अपनी मनमानी से चला रहे हैं।
कैसे चलता है यह ‘भर्ती खेल’?
मोटी रकम वसूलने का आरोप: BIS कंपनी के क्षेत्रीय अधिकारियों पर आरोप है कि नौकरी के लिए घूस देने वाले उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती है।
ब्लैकमेल और नौकरी से निकालने का डर: जिन कर्मचारियों ने नौकरी के लिए घूस नहीं दी, उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर नौकरी से निकाल दिया जाता है।
दोबारा बहाली के लिए मांग: निकाले गए कर्मचारी से ‘मिलीभगत करने वाले दलालों’ द्वारा भारी रकम वसूली जाती है। पैसे देने के बाद ही नौकरी बहाल होती है, वरना ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है।
ताजा मामला: सेल्समैन से 30,000 की वसूली
राजधानी रायपुर के मोवा सरकारी शराब दुकान में नियुक्त सेल्समैन बेदराम बंजारे के साथ ऐसा ही एक मामला सामने आया। उसे कुछ ही दिनों बाद हटा दिया गया। फिर शुभम जांगड़े नाम के व्यक्ति ने BIS कंपनी के अधिकारियों अमित शर्मा और प्रदीप कुमार गुप्ता को पैसे दिलाने के नाम पर ₹30,000 फोनपे के जरिए लिए। लेकिन न तो उसे दोबारा बहाल किया गया, न ही रकम वापस मिली, और सैलरी भी रोक दी गई।
बड़े सवाल उठाती है यह गोरखधंधा
BIS कंपनी के अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त?
आबकारी विभाग की चुप्पी पर सवाल: अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, लेकिन कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
मिलीभगत की आशंका: क्या यह पूरा खेल BIS कंपनी तक सीमित है, या आबकारी विभाग भी इसमें शामिल है?
आखिर कब रुकेगा यह भ्रष्टाचार?
आबकारी विभाग और BIS कंपनी के बीच इस गोरखधंधे की सच्चाई सामने लाना अब बेहद जरूरी हो गया है। यह केवल एक कर्मचारी की बात नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल खड़ा करता है।