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डबरी ने बदली किस्मत: मछली पालन, सब्जी और धान की खेती से मोहन बने आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर

नरेश कुमार ध्रुव…….फिंगेश्वर, गरियाबंद। देवभोग विकासखण्ड के ग्राम डुमरबहाल में रहने वाले श्री मोहन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत डबरी निर्माण कर अपनी तक़दीर बदल दी। कभी पानी की कमी से जूझ रहे खेत अब वर्षाजल संचयन से लहलहाने लगे हैं, और मोहन की आय के स्रोत भी कई गुना बढ़ चुके हैं।
लगभग 2,500 की आबादी वाले इस गांव में खेती योग्य ज़मीन तो है, लेकिन जल संकट के कारण किसान वर्षों से पर्याप्त उत्पादन नहीं ले पा रहे थे। खासकर गर्मियों में जल स्तर काफी नीचे चला जाता था। ग्रामसभा में मनरेगा योजना के तहत डबरी निर्माण की जानकारी मिलने के बाद मोहन ने अपने खेत में डबरी बनवाने के लिए आवेदन दिया।
जिला पंचायत की स्वीकृति के बाद उनके खेत में डबरी का निर्माण हुआ। इस जलस्रोत ने उनकी खेती को नया जीवन दे दिया। डबरी के पानी से उन्होंने मछली पालन शुरू किया और साथ ही साग-सब्जी, अरहर और अरबी (कोचई) की खेती भी की।
साग-सब्जी से उन्हें 10 से 12 हजार रुपए
मछली पालन से 20 हजार रुपए
1.5 एकड़ में धान की फसल से 50 हजार रुपए की आय हुई।
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इस तरह, एक डबरी ने न केवल मोहन की आर्थिक स्थिति सुधारी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाया। वे अब गांव के अन्य किसानों को भी डबरी निर्माण के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मोहन का मानना है कि इस योजना ने ना केवल उनकी आमदनी बढ़ाई, बल्कि जलस्त्रोतों को भी सशक्त किया है।
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मोहन ने इस बदलाव के लिए राज्य शासन का आभार जताते हुए कहा कि “डबरी ने मेरी ज़िंदगी बदल दी, अब मैं खुद भी खुश हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रहा हूँ।”
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