सिनेमाघरों में कटरीना और विजय की ‘मेरी क्रिसमस’ देखनी चाहिए या नहीं?

फिल्म- मेरी क्रिसमस
कलाकार- कटरीना कैफ, विजय सेतुपति, विनय पाठक, प्रतिमा कन्नन, टीनू आनंद, संजय कपूर आदि
लेखक- श्रीराम राघवन, पूजा लढा सुरती, अरिजित बिस्वास और अनुकृति पांडे
निर्देशक- श्रीराम राघवन
‘मेरी क्रिसमस’ रोमांच, मर्डर मिस्ट्री, सस्पेंस ड्रामा और ट्विस्ट के टड़के वाली लव स्टोरी है। ‘अंधाधुन’ के पांच साल बाद श्रीराम राघवन ने ‘मेरी क्रिसमस’ के जरिए बेहतरीन फिल्म का एक और उदाहरण पेश किया है। इस फिल्म की कहानी भले ही धीमी रफ्तार के साथ आगे बढ़ती, लेकिन अंत तक बांधे रखती है। ये उस तरीके की फिल्म है जो आपको सिनेमाघरों की सीट से उठने नहीं देगी और अंत में सोचने पर मजबूर कर देगी। आइए जानते हैं इस फिल्म में क्या खास है।
कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी
‘मेरी क्रिसमस’ में 24 दिसंबर की रात घटने वाली घटनाओं के बारे में दिखाया गया है। दरअसल, क्रिसमस वाली रात अलबर्ट (विजय सेतुपति) नाम का लड़का सात साल बाद बंबई आता है। वह अपने पड़ोसी से मिलता है और फिर कुछ देर बाद क्रिसमस मनाने के लिए बाहर निकल जाता है। रेस्टोरेंट में अलबर्ट को मरिया (कटरीना कैफ) नाम की एक लड़की दिखती है जो अपनी बेटी के साथ अकेले बैठी होती है। अलबर्ट, मरिया का पीछा करता है और फिर उससे बात करने की कोशिश करता है। दोनों की दोस्ती हो जाती और मरिया उसे क्रिसमस पर अपने घर आने का न्योता देती है। क्रिसमस के मौके पर अलबर्ट और मरिया दोनों खूब डांस करते हैं, ड्रिंग करते हैं, पास्ट की बातें करते हैं और फिर कुछ ऐसा होता है जिसकी वजह से दोनों की जिंदगी हमेशा-हमेशा के लिए बदल जाती है।
कटरीना और विजय की एक्टिंग
फिल्म देखते वक्त ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि विजय सेतुपति कोई किरदार प्ले कर रहे हैं। ऐसा लगा कि वो असल में जैसे हैं यहां भी वैसे ही एक्ट कर रहे हैं। उनके डायलॉग्स, वन लाइनर्स, एक्सप्रेशंस…सब कमाल के हैं। विजय के साथ-साथ कटरीना ने भी बेहतरीन काम किया है। हां, इमोशनल सीन्स में उनकी उतनी अच्छी पकड़ नहीं है। लेकिन, उन्होंने अन्य सीन्स में कमाल की एक्टिंग की है। इसके अलावा संजय कपूर, टीनू आनंद, विनय पाठक, अश्विनी कालसेकर और प्रतिमा काजमी ने भी श्रीराम राघवन की रहस्यमय दुनिया को बनाने में बड़ा योगदान दिया है।
क्लाइमैक्स
श्रीराम राघवन ने राइटिंग के साथ-साथ सिनेमैटोग्राफी पर भी कमाल का काम किया है। पूरी फिल्म में डेप्थ नजर आती है। छोटी-छोटी बारीकियां दिखाई पड़ती हैं। जब आप फिल्म देखेंगे तब इन छोटी-छोटी बारीकियाें पर गौर जरूर फरमाइएगा क्योंकि ये छोटी-छोटी बारिकियां ही आपको फिल्म के क्लाइमैक्स को समझने में मदद करेंगी।
देखें या नहीं?
अगर आप अच्छा कंटेंट देखना चाहते हैं तो आप ‘मेरी क्रिसमस’ देख सकते हैं। इस फिल्म की कहानी आपको अपनी सीट से उठने नहीं देगी। इसका क्लाइमैक्स आउट ऑफ द बॉक्स है। ऐसा क्लाइमैक्स जिसके बारे में आप फिल्म देखते वक्त सोच भी नहीं पाएंगे। हालांकि, ये क्लाइमैक्स आपको अंत में निराश करेगा।