छत्तीसगढ़

महिला पत्रकार पर हमले का मामला: पुलिस की निष्क्रियता पर महिला आयोग की सख्त निगाह, छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था पर सवाल

ज़ोहेब खान………..रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिला पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गहराते विवाद में नया मोड़ आ गया है, जहां रायपुर में एक महिला पत्रकार और उनके सहयोगियों के साथ हुए हमले का मामला महिला आयोग तक पहुंच गया है। 16 अक्टूबर 2024 को महिला पत्रकार और उनके साथी एक अवैध कबाड़ कारोबार की रिपोर्टिंग करने पहुंचे थे, जहां कारोबारी लल्ली सिंह (सरदार) ने कथित तौर पर उनके साथ अभद्र व्यवहार किया और डंडे से हमला किया। पुलिस की कार्रवाई में देरी और निष्क्रियता के चलते, पीड़िता ने अब महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

पुलिस की ढिलाई और साक्ष्य मिटाने का आरोप

इस मामले में महिला पत्रकार की शिकायत को उरला थाने में 16 अक्टूबर को दर्ज करने के लिए दिया गया था, लेकिन 21 अक्टूबर तक केवल आवेदन की पावती दी गई। पीड़ितों का आरोप है कि उरला थाना प्रभारी बी.एल. चंद्राकर ने जानबूझकर जांच में देरी की, ताकि आरोपी को सबूत मिटाने का अवसर मिल सके। आरोप के अनुसार, नगर पुलिस अधीक्षक खमतराई प्रशिक्षु IPS अमन कुमार झा को भी इस मामले से अवगत कराया गया, लेकिन कार्रवाई अभी भी अटकी हुई है।

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छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराध: प्रशासन पर सवाल

छत्तीसगढ़ में अपराधों की बढ़ती घटनाओं ने पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूरजपुर, बलौदाबाजार, कबीरधाम, और बिलासपुर से लेकर रायपुर तक हत्याएं, हमले, और अपराधों की घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां पुलिस की निष्क्रियता अपराधियों के हौसले बढ़ा रही है। रायपुर के पत्रकारों पर आए दिन हमले, झूठे केसों में फंसाने और धमकियों की घटनाएं आम हो चुकी हैं। रायपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पुलिस और पत्रकारों की सुरक्षा तक पर सवाल उठ रहे हैं।

“रसूख के दम पर दुकान तोड़ी, महिला से मारपीट; एफआईआर के तीन महीने बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, न्याय के लिए गुहार”

 

प्रेस संगठनों की चेतावनी: आंदोलन की तैयारी

प्रेस एंड मीडिया वेलफ़ेयर एसोसिएशन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र जायसवाल ने प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों को आजकल जंग जैसी परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है। यहां पत्रकारिता की स्वतंत्रता खतरे में है। विभिन्न पत्रकार संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं होती, तो बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है।

 

क्या अब महिला आयोग दिलाएगा न्याय?

इस मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक रायपुर, पुलिस महानिरीक्षक और राज्य के गृह मंत्री, मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जा चुकी है, फिर भी कार्रवाई क्यों रुकी हुई है, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। अब मामला महिला आयोग के संज्ञान में आने के बाद पुलिस प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है, और उम्मीद है कि पीड़िता को न्याय मिलेगा।

 

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