ग्रामीण इलाकों में ई-ऑफिस का भविष्य अधर में: सरकार के कागजी आदेशों पर विजय झा का करारा प्रहार

ज़ोहेब खान…….रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया कि अब समस्त विभागीय कार्य ई-ऑफिस से संचालित होंगे, मगर हकीकत से मुंह मोड़ लिया। मुख्य सचिव ने कलेक्टरों और विभागाध्यक्षों को फरमान जारी कर दिया कि अब पत्राचार और नोटशीट केवल डिजिटल माध्यम से होंगे, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है।
कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अधिकांश कार्यालयों में न तो पर्याप्त पद हैं, न कंप्यूटर, और न ही तकनीकी प्रशिक्षण। जो कंप्यूटर उपलब्ध हैं, वे भी कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना बुनियादी ढांचे के डिजिटल क्रांति का झूठा सपना आखिर किसे दिखाया जा रहा है?
श्री झा ने चेतावनी दी कि खासकर ग्रामीण और मैदानी इलाकों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू करना महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा। बिना एसी कंप्यूटर रूम, बिना नए सिस्टम, और बिना प्रशिक्षित स्टाफ के बाबू आखिर डिजिटल काम कैसे करेंगे? उन्होंने कहा कि पुराने कर्मचारी कंप्यूटर के सामने असहाय और लाचार नजर आ रहे हैं।
डिजिटल प्रणाली लागू करने से डेटा सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है। साइबर सुरक्षा के इंतजाम शून्य हैं और संवेदनशील जानकारियाँ हैक होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
कर्मचारी नेताओं उमेश मुरलिया और रविराज पिल्लै ने भी मुख्यमंत्री से स्पष्ट मांग की है कि अनुकंपा नियुक्ति में सहायक ग्रेड-3 के 10% सीमा बंधन को तुरंत समाप्त किया जाए और चुनाव कार्यों में लगे लिपिकों को नियमित नियुक्त किया जाए।
विजय झा ने तंज कसते हुए कहा, “जब सिंधु नदी का बहाव रोका जा सकता है, तो कर्मचारियों के हित में दो छोटे निर्णय लेना सरकार के लिए कौन सा बड़ा काम है?”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते ठोस निर्णय नहीं लिया, तो ई-ऑफिस प्रणाली भी ‘भुइयां सिस्टम’ की तरह फ्लॉप शो बन जाएगी और कर्मचारी वर्ग बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर, सिर्फ आदेशों से डिजिटल क्रांति संभव नहीं है — सरकार को चाहिए कि पहले आवश्यक ढांचा और मानव संसाधन तैयार करे, वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।