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“रायपुर में प्रेस की आज़ादी पर हमला! कवरेज कर रहे पत्रकारों को बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने पीटा, कैमरा तोड़ा – खून से सने सच पर चुप क्यों है प्रशासन?”

ज़ोहेब खान………रायपुर। राजधानी रायपुर में एक बार फिर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ज़मींदोज होता दिखा, जब भावना नगर में कवरेज करने गए पत्रकारों पर बजरंग दल के गुंडों ने सरेआम हमला कर दिया। जनधारा चैनल के रिपोर्टर राघवेंद्र पांडे और कैमरामैन प्रथम गुप्ता स्थानीय विवाद की रिपोर्टिंग कर रहे थे, तभी पहले से घात लगाए बैठे उपद्रवियों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया।

 

रिपोर्टिंग के बाद जैसे ही दोनों पत्रकार महिला से बयान लेकर बाहर निकले, भीड़ ने उन्हें घेर लिया और बुरी तरह मारपीट शुरू कर दी। कैमरा तोड़ दिया गया, पत्रकारों को घसीट-घसीट कर मारा गया – और ये सब राजधानी के भीतर, खुलेआम हुआ।

घटना में दोनों पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। खम्हारडीह थाने में मामला दर्ज हुआ है, लेकिन अब तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं हुई है। इससे साफ है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासन पूरी तरह बेबस या खामोश।

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मीडिया जगत में घटना को लेकर भारी रोष है। पत्रकार संगठनों ने इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को फिर से बुलंद कर दिया है।

प्रेस की आज़ादी पर ये खुला हमला सिर्फ पत्रकारों पर नहीं, बल्कि हर उस नागरिक पर है जो सच जानना चाहता है।

 

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सवाल उठता है

क्या अब सच दिखाना गुनाह है?
क्या अब पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने से पहले सुरक्षा गार्ड रखने होंगे?
और सबसे अहम — क्या सरकार अब भी खामोश रहेगी?

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