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हमें जूती समझा, प्राइवेट पार्ट्स को टच किया’, ननों की रिहाई के बाद आदिवासी लड़कियों का सनसनीखेज खुलासा – बजरंग दल पर गैंगरेप की धमकी और जातीय अपमान के आरोप

क्राइम छत्तीसगढ़ न्यूज़…….जगदलपुर। मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के संदेह में गिरफ्तार की गई दो कैथोलिक ननों को जब एनआईए कोर्ट बिलासपुर से जमानत मिली, तो मामला एक नए मोड़ पर आ गया। ननों के साथ जा रही आदिवासी युवतियों ने अब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र की तीन युवतियों ने शनिवार को एसपी कार्यालय पहुंचकर अपनी पीड़ा साझा की और आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की।
युवतियों का कहना है कि वे अपनी मर्जी और परिजनों की सहमति से ननों के साथ आगरा जा रही थीं, तभी दुर्ग रेलवे स्टेशन पर उन्हें रोका गया। वहां सैकड़ों की संख्या में मौजूद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया, जातिसूचक गालियां दीं, उनके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ और गैंगरेप की धमकी दी।
“कमरे में बंद कर पीटा गया, धमकाया गया”
युवतियों ने बताया कि उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाकर एक कमरे में बंद कर दिया गया। वहां पुलिस जवानों को बाहर निकालकर उन्हें पीटा गया और ननों के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया गया। यदि ऐसा नहीं करतीं, तो गैंगरेप की धमकी दी गई।
“हमारी जाति का अपमान किया गया”
एक पीड़िता ने बताया कि उन्हें कहा गया, “तुम हमारे पैरों की जूती के बराबर हो।” उन्होंने आरोप लगाया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गाली-गलौज की, जातीय अपमान किया और उनके शरीर के संवेदनशील हिस्सों को छुआ।
“चार दिन नजरबंद रखा गया”
पीड़िताओं ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें दुर्ग के वन स्टॉप सेंटर में चार दिनों तक नजरबंद रखा गया। उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया गया, न ही बात करने की इजाजत दी गई। जबकि वे स्पष्ट रूप से कह रही थीं कि वे अपनी मर्जी से यात्रा कर रही थीं और ननों के साथ जाना चाहती थीं।
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पुलिस मौन, कार्रवाई की मांग
फिलहाल पुलिस ने इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। लेकिन पीड़ित युवतियों की ओर से दी गई शिकायत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कहीं धार्मिक और जातीय भेदभाव की आड़ में निर्दोषों को उत्पीड़न का शिकार तो नहीं बनाया जा रहा?