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क्या दिल्ली में आएगा बड़ा जल संकट, क्यों ‘पैनिक’ में केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली.  दिल्ली में एक बार फिर अफसरशाही और आम आदमी पार्टी की सरकार टकराव की मुद्रा में हैं। ताजा विवाद पानी को लेकर है जिसकी वजह से दिल्ली में बड़े जल संकट का दावा किया जा रहा है। अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसको लेकर ‘पैनिक बटन’ दबा दिया है। दिल्ली सरकार की प्रमुख मंत्री आतिशी ने तो मंगलवार को ‘इमर्जेंसी हालात’ बताते हुए वित्त सचिव आशीष वर्मा पर ठीकरा फोड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्मा ने दिल्ली जल बोर्ड का फंड रोक दिया है। वहीं, वित्त सचिव ने कहा कि यह दावा करना गलत है कि शहर में पानी आपूर्ति या सीवेज ट्रीटमेंट रुक जाएगा।

दिल्ली की जल और वित्त मंत्री अतिशी ने वर्मा पर दिल्ली जल बोर्ड के लिए फंड की दूसरी किस्त रोकने का आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पेंड करने की मांग की। आतिशी ने एलजी वीके सक्सेना को लेटर लिखकर हस्तक्षेप करने को कहा है। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में जल और स्वच्छता का बड़ा संकट आ सकता है। उन्होंने यहां तक कहा कि महामारी जैसे हालत पैदा हो सकते हैं। वर्मा ने कहा कि सरकार लोन और ग्रांट केवल नए काम के लिए देती है और इन प्रॉजेक्ट्स के लिए फंड जमीन पर हुई प्रगति के आधार पर जारी किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘1,598  करोड़ रुपए दिल्ली जल बोर्ड को जून में ही जारी किए जा चुके हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि फंड का दुरुपयोग नहीं हो रहा है, काम की प्रगित के सबूत और जियोटैगिंग के आधार पर आगे की धनराशि जारी की जाएगी।’

वर्मा ने कहा, ‘मूल काम का प्रबंधन डीजेबी के अपने कर्माचारी करते हैं और निकट भविष्य में रुकने की संभावना नहीं है। पानी की आपूर्ति और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट डीजेपी की अपनी जिम्मेदारी है। यह कहना गलत है कि पानी आपूर्ति या सीवेज ट्रीटमेंट रुक जाएगा।’ पिछले दशक में एमसीडी को भी ऐसे ही वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से ठेकेदारों को देरी से पेमेंट, वेतन और विकास कार्यों में देरी हुई। वर्मा ने कहा, ‘सरकार सैलरी, रिपेयर और मेंटिनेंस के लिए डीजेपी को पैसा नहीं देती है। यह खर्च डीजेपी के अपने राजस्व से चलाया जाता है। सरकार लोन और ग्रांट केवल नए काम के लिए देती है और फंड जमीन पर हुई प्रगति के आधार पर दिया जाएगा।’ एलजी सचिवालय ने आतिशी के लेटर पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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