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शेयर बाजार निवेश पर दोहरी नीति: सरकार खुद लगाए कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई, पर अफसर-कर्मियों को रोके – विजय झा

ज़ोहेब खान…….रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को शेयर बाजार में निवेश करने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में आदेश जारी कर कर्मचारियों को बार-बार शेयर, प्रतिभूति और डिबेंचर की खरीदी-बिक्री से मना किया है। साथ ही दो माह से अधिक वेतन के निवेश पर पूर्व जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।

कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने इस फैसले को सरकार की “दोहरी नीति” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि एक ओर सरकार स्वयं कर्मचारियों की पेंशन की राशि को शेयर बाजार में निवेश कर रही है, जबकि दूसरी ओर उन्हें खुद ऐसा करने से रोका जा रहा है।

विजय झा ने कहा कि एनपीएस (नई पेंशन योजना) के अंतर्गत कर्मचारियों की लगभग 17,240 करोड़ रुपये की राशि सरकार ने एनएसडीएल कंपनी में निवेश कर रखी है। यह पैसा कर्मचारी अपनी मेहनत की कमाई समझते हैं, लेकिन उन्हें ना तो इसे निकालने की आज़ादी है और ना ही उस पर नियंत्रण।

उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद भी कर्मचारी को 60% राशि शेयर बाजार में निवेश करने पर ही पेंशन की पात्रता मिलती है। यही नहीं, शेष 40% राशि जीपीएफ खाते में तभी दी जाती है जब कोषालय एनएसडीएल को तदाशय प्रमाण पत्र देता है। यह राशि भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक या टाटा समूह में निवेश करनी होती है, तभी पेंशन स्वीकृत होती है।

श्री झा ने सरकार की नीति पर तंज कसते हुए कहा—

“गरीब मांगे तो भीख है, अमीर मांगे तो चंदा है; तुम लगाओ तो निवेश, कर्मचारी लगाए तो अपराध।”

उन्होंने आरोप लगाया कि हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारी इस जबरन निवेश नीति के शिकार हैं। टाटा समूह में की गई राशि जब ठप हुई तो एनएसडीएल ने उसे अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया, पर इसका नुकसान भुगतना कर्मचारियों को पड़ा।

विजय झा ने यह भी कहा कि भूपेश बघेल सरकार द्वारा लागू की गई पुरानी पेंशन योजना की राशि भी महालेखाकार के अलग खाते में जमा है, जो आज तक कर्मचारियों को नहीं दी गई। इससे न केवल आर्थिक क्षति हो रही है बल्कि ब्याज का भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

अब 1 अगस्त से सरकार “यूनाइटेड पेंशन स्कीम” (UPS) लागू कर एनपीएस और यूपीएस में विकल्प मांग रही है, जिससे कर्मचारी और अधिक भ्रमित, दुखी और आक्रोशित हैं। विजय झा ने कहा,

“एनपीएस और यूपीएस दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई हैं, कर्मचारियों के लिए एक ओर गड्ढा है तो दूसरी ओर खाई।”

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