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खाद संकट से जूझ रहे किसान, दो महीने बाद भी नहीं मिली डीएपी और एनपीके – तेजराम विद्रोही

नरेश कुमार ध्रुव………फिंगेश्वर/गरियाबंद। खरीफ सीजन की शुरुआत को दो महीने होने जा रहे हैं, लेकिन किसान अब भी डीएपी और एनपीके खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। सहकारी समितियों में खाद की भारी कमी है, वहीं निजी विक्रेता मनमाने दाम और जबरन लदान के साथ किसानों को खाद बेच रहे हैं, जो उर्वरक मंत्रालय के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ के प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही ने इस गंभीर स्थिति पर सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को डीएपी (18:46) की जगह विकल्प के तौर पर एनपीके (12:32:16, 20:20:0:13) खाद दिया जा रहा था, लेकिन वह भी सभी किसानों तक नहीं पहुंचा है। जुलाई का अंतिम सप्ताह बीत रहा है, फिर भी किसान खाद के लिए कतारों में खड़े हैं।
“सहकारी समितियों में खाद गायब, निजी विक्रेताओं के गोदाम भरे पड़े”
तेजराम विद्रोही ने आरोप लगाया कि खाद सप्लाई की अधिकतर मात्रा निजी विक्रेताओं के पास जा रही है, जबकि नियमानुसार 60% खाद प्राथमिकता के साथ सहकारी समितियों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इससे साफ होता है कि सरकार और व्यापारियों की मिलीभगत से मुनाफाखोरी हो रही है।
उन्होंने बताया कि 17 नवम्बर 2022 को भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसानों को खाद के साथ जबरन लदान नहीं दिया जाएगा, इसके बावजूद निजी व्यापारी किसानों को लदान के बोझ के साथ खाद बेच रहे हैं। यह सीधे तौर पर सरकारी आदेश की अवहेलना और किसानों का शोषण है।
“जनप्रतिनिधि बयानबाज़ी में व्यस्त, जमीनी सच्चाई से अंजान”
तेजराम विद्रोही ने कहा कि बिसहत राम साहू, भगवती बाई साहू, सोमन यादव, पुरुषोत्तम साहू, योगेंद्र साहू, खेमूराम साहू जैसे सैकड़ों किसान अब तक खाद के अभाव में परेशान हैं। ऐसे समय में कुछ जनप्रतिनिधि यह कहकर भ्रम फैला रहे हैं कि खाद की कोई कमी नहीं है, जबकि उनकी जिम्मेदारी है कि वे जमीनी हालात समझें और सभी वंचित किसानों को खाद दिलवाएं।
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