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POCSO केस में आरोपी को ज़मानत: बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना ‘सहमति से रिश्ता’, पीड़िता के पुनर्विवाह का भी दिया हवाला

क्राइम छत्तीसगढ़ न्यूज़………मुंबई। यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए एक युवक को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने 21 जुलाई 2024 को उसे जमानत दे दी, जहां उसे निचली अदालत द्वारा 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया मामले को सहमति से बना संबंध मानते हुए और शिकायतकर्ता की बाद में हुई शादी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया।

 

अदालत ने पाया कि कथित पीड़िता, जो अप्रैल 2020 में 17 साल एक महीने की थी, स्वेच्छा से आरोपी के साथ गई थी और दोनों ने अपने रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह भी किया था। इस रिश्ते से एक बच्ची भी हुई, जो अब आरोपी के माता-पिता के संरक्षण में रह रही है।

 

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शिकायतकर्ता ने खुद अदालत में स्वीकार किया कि उसने आरोपी से प्रेम विवाह किया था और विवाह के बाद दोनों साथ भी रहे थे। यहाँ तक कि उसकी माँ ने भी उसे आरोपी के साथ “खुशी से रहने” के लिए कहा था।

 

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आरोपी के वकील कुणाल शिरगिरे ने अदालत में दलील दी कि यह रिश्ता पूरी तरह सहमति पर आधारित था और अभियोजन पक्ष पीड़िता की उम्र को प्रमाणित करने के लिए ठोस दस्तावेज़ नहीं पेश कर सका।

 

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इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने कहा कि यदि ज़मानत नहीं दी गई तो आरोपी को अपूरणीय क्षति हो सकती है, विशेषकर तब जब बच्ची उसकी जिम्मेदारी में है और पीड़िता ने पुनर्विवाह भी कर लिया है।

 

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अदालत ने आरोपी को 25,000 रुपये के मुचलके पर ज़मानत दी है और उसे पीड़िता से किसी भी प्रकार के संपर्क से दूर रहने का आदेश दिया है।

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