देशभर में एसआईआर अभियान शुरू करने पर जल्द फैसला लेगा निर्वाचन आयोग

नयी दिल्ली. निर्वाचन आयोग जल्द ही देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान शुरू करने की तारीख तय करेगा और राज्यों में मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया साल के अंत से पहले प्रारंभ हो सकती है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। निर्वाचन आयोग के राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की यहां एक दिवसीय बैठक के बाद, अधिकारियों ने कहा कि अगले साल पांच विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए अखिल भारतीय मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 के आगामी महीनों में चलया जा सकता है। बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज सुझाए कि किसी भी पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची से बाहर न रहे तथा कोई भी अपात्र व्यक्ति इसमें शामिल न हो। इस बात पर पुनः जोर दिया गया कि इन दस्तावेजों को पात्र नागरिकों के लिए प्रस्तुत करना आसान होना चाहिए। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह मतदाता की पहचान के प्रमाण के रूप में 11 अन्य दस्तावेजों के अलावा आधार कार्ड को भी 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार करे। मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित हुई अपने राज्यों की मतदाता सूची तैयार रखें। कुछ राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने अपनी वेबसाइट पर पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूची पहले ही डाल दी है। आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद, पूरे देश में एसआईआर की कवायद होगी।
असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
आयोग ने एक बयान में कहा कि बिहार के सीईओ ने रणनीतियों, बाधाओं और अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में एक प्रस्तुति दी ताकि अन्य सीईओ उनके अनुभवों से सीख सकें। विभिन्न राज्यों के सीईओ ने अपने राज्य में मतदाताओं की संख्या, अंतिम एसआईआर की अर्हता तिथि और अंतिम पूर्ण एसआईआर के अनुसार तैयार की गईं मतदाता सूची के बारे में विस्तृत प्रस्तुतियां दीं। इन सीईओ ने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सीईओ वेबसाइट पर पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूची के डिजिटलीकरण और अपलोडिंग के बारे में भी जानकारी दी। निर्वाचन आयोग के अनुसार इस गहन संशोधन का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की पड़ताल करके उन्हें बाहर निकालना है। आयोग का कहना है कि यह कदम बांग्लादेश और म्यांमा समेत विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। अंततः, चुनाव प्राधिकरण ‘‘मतदाता सूचियों की अखंडता की रक्षा के अपने संवैधानिक दायित्व के निर्वहन” के लिए पूरे देश में एसआईआर शुरू करेगा। गहन समीक्षा के तहत, चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। विपक्षी दलों द्वारा भाजपा की मदद के लिए आयोग पर मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी करने के आरोपों के बीच, निर्वाचन आयोग ने गहन संशोधन में अतिरिक्त कदम उठाए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल न हों। मतदाता बनने या राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों की एक श्रेणी के लिए एक अतिरिक्त ‘घोषणा पत्र’ पेश किया गया है। उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था और जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। घोषणा पत्र में सूचीबद्ध विकल्पों में से एक यह है कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 और 2 दिसंबर, 2004 के बीच भारत में हुआ हो। उन्हें अपने माता-पिता की जन्मतिथि/स्थान के बारे में भी दस्तावेज जमा करने होंगे। लेकिन बिहार मतदाता सूची संशोधन पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। उनका दावा है कि करोड़ों पात्र नागरिक दस्तावेजों के अभाव में मतदान के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। उच्चमत न्यायालय ने आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी पात्र नागरिक छूट न जाए।