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फर्जी रॉयल्टी पर्ची का मामला: खदान संचालक बचे, गाड़ी मालिक पर कार्रवाई — मानवाधिकार आयोग ने उठाए सवाल

क्राइम छत्तीसगढ़…….रायपुर। राजधानी रायपुर में खनिज विभाग द्वारा फर्जी रॉयल्टी पर्ची के मामले में हाईवा वाहन मालिक पर की गई कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग के प्रवक्ता अफरोज़ ख्वाजा ने इसे एकतरफा कार्रवाई करार देते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

 

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मामला वाहन क्रमांक CG-04-PH-9087 से संबंधित है, जिसमें गिट्टी लोड थी। खनिज विभाग की जांच में पाया गया कि वाहन के पास जो रॉयल्टी पर्ची थी, वह संदिग्ध और फर्जी प्रतीत हो रही थी। जांच के दौरान उक्त गाड़ी को जब्त कर थाने में खड़ा कर दिया गया और मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

 

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जानकारी के अनुसार, पर्ची रॉयल्टी क्रमांक 9426137 के नाम से दो अलग-अलग प्रतियों में पाई गई, जिनमें स्पष्ट अंतर नजर आया। पर्चियां मेसर्स नरसिंह मिनरल्स, ग्राम अकोलडीह, खपरी (आरंग खदान) की बताई जा रही हैं। एक पर्ची 15 जुलाई को जारी की गई थी, जबकि दूसरी पर्ची, जो कार्बन कॉपी जैसे पेन से भरी गई है, नकली प्रतीत हो रही है। नियमानुसार, रॉयल्टी पर्ची की एक प्रति वाहन चालक को और एक प्रति खनिज विभाग को जमा की जाती है।

 

इस मामले में सबसे अहम बात यह रही कि फर्जी रॉयल्टी खदान से ही जारी होना प्रतीत हो रहा है, इसके बावजूद खदान संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि वाहन चालक व मालिक पर सीधी कार्यवाही कर दी गई। जिला खनिज अधिकारी हेमंत चेरपा ने बयान में कहा कि गाड़ी चालक को पर्ची की वैधता जांचनी चाहिए थी।

इस पर अफरोज़ ख्वाजा ने सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल गाड़ी चालक की नहीं, बल्कि खनिज विभाग और संबंधित खदान की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व में फर्जी रॉयल्टी पर्चियों का घोटाला सामने आ चुका है, जिनकी जांच चौकियों पर भी एंट्री हुई थी, और संभवतः इन्हीं के आधार पर क्लियरेंस सर्टिफिकेट भी जारी किए गए।

ख्वाजा ने कहा कि इस मामले में एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए गाड़ी मालिक को दोषी ठहराना और खदान संचालक को बचाना न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने आशंका जताई कि इतने गंभीर मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि पारदर्शिता और न्याय के खिलाफ है।

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